अजब ये दुनिया
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यह दुनिया
ज्यों अजायबघर
अनोखे दृश्य
अद्भुत संकलन
विस्मयकारी
देख होते हत्प्रभ !
अजब रीत
इस दुनिया की है
माटी की मूर्ति
देवियाँ पूजनीय
निरपराध
बेटियाँ हैं जलती
जो है जननी
दुनिया ये रचती !
कहीं क्रंदन
कहीं गूँजती हँसी
कोई यतीम
कोई है खुशहाल
कहीं महल
कहीं धरा बिछौना
बड़ी निराली
गज़ब ये दुनिया !
भूख से मृत्यु
वेदना है अपार
भरा भण्डार
संपत्ति बेशुमार
पर अभागा
कोई नहीं अपना
सब बेकार !
धरती में दरार
सूखे की मार
बहा ले गया सब
तूफानी जल
अपनी आग में ही
जला सूरज
अपनी रौशनी से
नहाया चाँद
हवा है बहकती
आँखें मूँदती
दुनिया चमत्कार
रूप-संसार !
हम इंसानों की है
कारगुजारी
हरे-घने जंगल
हुए लाचार
कट गए जो पेड़,
हुए उघार
चिड़िया बेआसरा
पानी भी प्यासा
चेत जाओ मानव !
वरना नष्ट
हो जाएगी दुनिया
मिट जाएगी
अजब ये दुनिया
गजब ये दुनिया !
- जेन्नी शबनम (28. 7. 2016)
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