रविवार, 6 मई 2012

344. चाँद का दाग़ (क्षणिका)

चाँद का दाग़

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ऐ चाँद! तेरे माथे पर जो दाग़ है 
क्या मैंने तुम्हें मारा था? 
अम्मा कहती है- मैं बहुत शैतान थी 
और कुछ भी कर सकती थी। 

- जेन्नी शबनम (6. 5. 2012)
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