भोर की वेला
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1.
माँ-सी जगाएँ
सुनहरी किरणें
भोर की वेला।
2.
पाखी की टोली
भोरे-भोरे निकली
कर्म निभाने।
3.
किरणें बोलीं -
जाओ, काम पे जाओ
पानी व पाखी।
4.
सूरज जागा
आँख मिचमिचाता
जग भी जागा।
5.
नया जीवन,
प्रभात रोज़ देता
शुभ संदेश।
6.
मन सोचता -
पंछी-सा उड़ पाता
छूता अंबर।
7.
रोज रँगता
प्रकृति चित्रकार
अद्भुत छटा।
- जेन्नी शबनम (24. 1. 2021)
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