रविवार, 13 मई 2018

574. प्यारी-प्यारी माँ (माँ पर 10 हाइकु) पुस्तक 96, 97

प्यारी-प्यारी माँ    

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1.   
माँ की ममता   
नाप सके जो कोई   
नहीं क्षमता।   

2.   
अम्मा के बोल   
होते हैं अनमोल   
मत तू भूल।   

3.   
सब मानती   
बिन कहे जानती   
प्यारी-प्यारी माँ।   

4.   
दुआओं भरा   
ख़ज़ानों का भंडार   
माँ का अँचरा।   

5.   
प्रवासी पूत   
एक नज़र देखूँ,   
माँ की कामना।   

6.   
घरौंदा सूना   
पाखी-से उड़े बच्चे   
अम्मा उदास।   

7.   
माँ ने खिलाया   
हर एक निवाला   
नेह से भीगा।   

8.   
हुलसा मन   
लौटा प्रवासी पूत   
माँ का सपूत।   

9.   
प्रवासी पूत   
गुज़र गई अम्मा   
मिला न कंधा।   

10.   
माँ की मुराद   
फूलों-सा मुस्कुराएँ    
हमारे बच्चे!   

- जेन्नी शबनम (13. 5. 2018)   
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मंगलवार, 1 मई 2018

573. ऐसा क्यों जीवन

ऐसा क्यों जीवन
   
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ये कैसा सहर है   
ये कैसा सफ़र है   
रात-सा अँधेरा, जीवन का सहर है   
उदासी पसरा, जीवन का सफ़र है।
   
सुबह से शाम बीतता रहा   
जीवन का मौसम रुलाता रहा   
धरती निगोड़ी बाँझ हो गई   
आसमान जो सारी बदली पी गया।
   
अब आँसू है पीना
सपने है खाना    
यही है ज़िन्दगी   
यही हम जैसों की कहानी।
  
न मौसम है सुनता, न हुकूमत ही सुनती   
मिटते जा रहे हम, पर वे हँसते हैं हम पर  
सियासत के खेलों ने बड़ा है तड़पाया   
फाँसी के फँदों की बाँहों में पहुँचाया।
   
हमारे क़त्ल का इल्ज़ाम   
हम पर ही आया   
पिछले जन्म का पाप   
अब हमने चुकाया।
   
अब आज़ादी का मौसम है   
न भूख है, न सपने हैं   
न आँसू है, न अपने हैं   
न सियासत के धोखे हैं। 
  
हम मर गए, पर मेरे सवाल जीवित हैं  
हम कामगारों का ऐसा जीवन क्यों?  
वे हमसे जीते हैं और हम मरते हैं क्यों?  
हमारे पुरखे भी मरे, हम भी मरते हैं क्यों? 
  
कैसा सहर है, कैसा सफ़र है   
मौत में उजाला ढूँढता, हमारा सहर है 
बेमोल जीवन, यही जीवन का सफ़र है।

-जेन्नी शबनम (1.5.2018) 
(श्रमिक दिवस)  
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