गुरुवार, 28 जुलाई 2022

745. अब्र (6 क्षणिका)

अब्र 

(6 क्षणिका)

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1. अब्र   

ज़माने के हलाहल पीकर   
जलती-पिघलती मेरी आँखों से   
अब्र की नज़रें आ मिली   
न कुछ कहा, न कुछ पूछा   
वह जमकर बरसा, मैं जमकर रोई   
सारे विष धुल गए, सारे पीर बह गए   
मेरी आँखें और अब्र   
एक दूजे की भाषा समझते हैं। 
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2. बादल   

तुम बादल बन जाओ   
जब कहूँ तब बरस जाओ   
तुम बरसो मैं तुमसे लिपटकर भीगूँ   
सारे दर्द को आँसुओं में बहा दूँ   
नहीं चाहती किसी और के सामने रोऊँ,   
मैं मुस्कुराऊँगी, फिर तुम लौट जाना अपने आसमाँ में।
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3. घटा   

चाहती हूँ तुम आओ, आज मन फिर बोझिल है   
घटा घनघोर छा गई, मेरे चाहने से वो आ गई   
घटा प्यार से बरस पड़ी, आकर मुझसे लिपट गई   
तन भीगा मन सूख गया, मन को बड़ा सुकून मिला   
बरसों बाद धड़कनो में शोर हुआ, मन मेरा भाव-विभोर हुआ।
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4. घन   

हे घन! आँखों में अब मत ठहरो   
बात-बे-बात तुम बरस जाते हो   
माना घनघोर उदासी है   
पर मुख पर हँसी ही सुहाती है   
पहर-दिन देखकर, एक दिन बरस जाओ जीभर   
फिर जाकर सुस्ताओ आसमाँ पर।
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5. मेघ   

अच्छा हुआ तुम आ गए, पर ज़रा ठहरो   
किवाड़ बन्दकर छत पर आती हूँ   
कोई देख न ले मेरी करतूत   
मेघ! तुम बरसना घुमड़-घुमड़   
मैं कूदूँगी छपाक-छपाक,   
यूँ लगता है मानो ये पहला सावन है   
उम्र की साँझ से पहले, बचपन जीने का मन है।
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6. बदली   

उदासी के पाँव में महावर है   
जिसकी निशानी दिख जाती है   
बदली को दिख गई और आकर लिपट गई   
उसे उदासी पसन्द जो नहीं है   
धुलकर अब खिल गई हूँ मैं,   
उदासी के पाँव के महावर फिर गाढ़े हो रहे हैं   
अब अगली बारिश का इन्तिज़ार है।
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- जेन्नी शबनम (28. 7. 2021)
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सोमवार, 4 जुलाई 2022

744. भोर (40 हाइकु)

 भोर 

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1.
भोर होते ही
हड़बड़ाके जागी,
धूप आलसी।

2.
आँखें मींचता
भोरे-भोरे सूरज
जगाने आया।

3.
घूमता रहा
सूरज निशाचर
भोर में लौटा।

4.
हाल पूछता
खिड़की से झाँकता,
भोर में सूर्य।

5.
गप्प करने
सूरज उतावला
आता है भोरे।

6.
छटा बिखेरा
सतरंगी सूरज
नदी के संग।

7.
सुहानी भोर
दीपक-सा जलता
नन्हा सूरज।

8.
गंगा मइया
रोज़ भोरे मिलती
सूरज सखा।

9.
भोर की वेला
सूरज की किरणें
लाल जोड़े में।

10.
नदी से पूछी
किरणें लजाकर,
नहाने आऊँ?

11.
किरणें प्यारी
छप-छप नहाती
नदी है टब।

12.
चली किरणें
संसार को जगाने
हुआ बिहान।

13.
तन्हा सूरज
उम्मीद से ताकता
कोई तो बोले।

14.
मन का बच्चा
खेलने को आतुर,
सूरज गेंद।

15.
चिड़िया बोली
तुम सब भी जागो
मैं जग गई।

16.
सोने न देता
भोरे-भोरे जगाता
क्रूर सूरज।

17.
अनिद्रा रोगी 
भोरे-भोरे जागते
सूरज बाबा।

18.
माँ-सी किरणें
दुलार से उठाती
रोज़ सबेरे।

19.
सूरज देव
अँगने में उतरे
फूल खिलाने।

20.
साथ बैठो न,
सूर्य का मनुहार
भोर है भई।

21.
पानी माँगने
गंगा के पास दौड़ा
सूरज प्यासा।

22.
सूरज भाई
बेखटके जगाए
बिना शर्माए।

23.
जल्द भोर हो
सूर्य का इंतिज़ार,
सूरजमुखी। 

24.
साफ़ सुथरा
नदी में नहाकर
सूर्य चमका।

25.
भोर में आता
दिनभर बौराता,
आवारा सूर्य।

26.
ठण्ड की भोर
आराम फ़रमाता
सूर्य कठोर।

27.
गच्चा दे गया
बेईमान सूरज
जाड़े की भोर।

28.
भोरे उठाता
करता मनमानी,
हठी सूरज।

29.
भोर की लाली
गंगा को है रँगती,
सुन्दर चित्र।

30.
नरम धूप
मनुहार करती -
बैठो न साथ।

31.
भोर की रश्मि
ख़ूब प्यार से बोली-
चाय पिलाओ।

32.
सूर्य थकता
रोज़ भोरे उगता
लेता न नागा।

33.
सूर्य भेजता
उठने का संदेश
रश्मि है दूत।

34.
भोर में सूर्य
गंगा-स्नान करता
पुण्य कमाता।

35.
हुआ बिहान
दलान पर सूर्य
तप करता।

36.
सूर्य न आया,
मेघ से डरकर
कहीं है छुपा।

37.
किसने बोला-
जागो, भोर हो गया,
चिड़िया होगी।

38.
धूप के बूटे
खिड़की से आ गिरे,
खिला बिछौना।

39.
भोरे-भोरे ही
चकल्लस को गया
आवारा सूर्य।

40.
भोर ने कहा-
सोने दो देर तक,
इतवार है।

- जेन्नी शबनम (30. 6. 2022)
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