मन-आँखों का नाता
(5 सेदोका)
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1.
गहरा नाता
मन-आँखों ने जोड़ा
जाने दूजे की भाषा,
मन जो सोचे -
अँखियों में झलके
कहे संपूर्ण गाथा !
2.
मन ने देखे
झिलमिल सपने
सारे के सारे अच्छे,
अँखियाँ बोलें -
सपने तो सपने
नहीं होते अपने !
3.
बावरा मन
कहा नहीं मानता
मनमर्ज़ी करता,
उड़ता जाता
आकाश में पहुँचे
अँखियों को चिढ़ाए !
4.
आँखें ही होती
यथार्थ हमजोली
देखे अच्छी व बुरी
मन बावरा
आँखों को मूर्ख माने
धोखा तभी तो खाए !
5.
मन हवा-सा
बहता ही रहता
गिरता व पड़ता,
अँखियाँ रोके
गुपचुप भागता
चाहे आसमाँ छूना !
- जेन्नी शबनम (18. 6. 2016)
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