मंगलवार, 16 जून 2020

672. ख़ाली हाथ जाना है (तुकांत)

ख़ाली हाथ जाना है 

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ख़ाली हाथ हम आए थे   
ख़ाली हाथ ही जाना है।   

तन्हा-तन्हा रातें गुज़री   
तन्हा दिन भी बिताना है।   

समझ-समझ के समझे क्यों   
समझ से दिल कब माना है।   

क़तरा-क़तरा जीवन छूटा   
क़तरा-क़तरा सब पाना है।   

बूँद-बूँद बिखरा लहू   
बूँद-बूँद मिट आना है।   

झम-झम बरसी आँखें उसकी   
झम-झम जल ये चखाना है।   

'शब' को याद मत करो तुम   
उसका गया ज़माना है।   

- जेन्नी शबनम (16. 6. 2020)
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