फूलवारी
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जब भी मिलने जाती हूँ
कसकर मेरी बाँहें पकड़, कहती है मुझसे-
अब जो आई हो, तो यहीं रह जाओ
याद करो, जब अपने नन्हे-नन्हे हाथों से
तुमने रोपा था, हम सब को
देखो कितनी खिली हुई है बगिया
पर तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता
शहर में न तो फूल है न फूलवारी
रूक जाओ न यहीं पर
बचपन के दिनों-सी बौराई फिरना।
- जेन्नी शबनम (5. 6. 2020)
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