अब डर नहीं लगता
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अब डर नहीं लगता!
न हारने को कुछ शेष
न किसी जीत की चाह
फिर किस बात से डरना?
सब याद है
किस-किस ने प्यार किया
किस-किस ने दुत्कारा
किस-किस ने छला
किस-किस ने तोड़ा
किस-किस को पुकारा
किस-किस ने मुँह फेरा
सब के सब
अब कहानी-से हैं
अतीत के सभी छाले
दर्द नहीं देते
अब सुकून देते हैं
भीड़ में गुम होने की ख़ुशी देते हैं
मुक्त होने का एहसास देते हैं
बेफ़िक्र जीने का सन्देश देते हैं
फिर किस बात से डरना?
न खोने को कुछ शेष
न कुछ पाने की चाह
अब डर नहीं लगता!
- जेन्नी शबनम (18. 5. 2021)
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