रीसेट
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हयात के लम्हात, दर्द में सने थे
मेरे सारे दिन-रात, आँसू से बने थे
नाकामियों, नादानियों और मायूसियों के तूफ़ान
मन में लिए बैठे थे
वक़्त से सुधारने की गुहार लगाते-लगाते
बेज़ार जिए जा रहे थे
हम थे पागल
जो माज़ी से प्यार किए जा रहे थे।
कल वक़्त ने कान में चुपके से कहा-
सारे कल मिटाकर, नए आज भर लो
वक़्त अब भी बचा है
ज़िन्दगी को रीसेट कर लो
जितनी बची है
उतनी ज़िन्दगी भरपूर जी लो।
दर्द को खा लो, आँसू को पी लो
सारे कल मिटाकर, नए आज भर लो
वक़्त अब भी बचा है
ज़िन्दगी को रीसेट कर लो।
-जेन्नी शबनम (26.6.2020)
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