जो देखा जो सुना
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जो देखा-सुना जो जिया-गुना
वह लिखा वह सब लिखा
जो मन ने कहा जो मन में पला
वह लिखा बस वही लिखा
कब कौन सी विधा हुई
किस तराजू पे परखी गई
किस नियम में सजी लेखनी
वो त्रिभुज हुई या वृत्ताकार बनी
समीप रही या समानांतर चली
नहीं मालूम यह क्या हुआ
नहीं मालूम यह क्यों हुआ
बस हुआ और इतना हुआ
जो समझा जो पहचाना
वह लिखा वह सब लिखा।
- जेन्नी शबनम (1. 1. 2020)
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