अप्रैल फ़ूल
*******
आईने के सामने रह गई मैं भौचक खड़ी
उस पार खड़ा वक़्त ठठाकर हँस पड़ा
बेहयाई से बोला-
तू आज ही नहीं बनी फ़ूल
उम्र के गुज़रे तमाम पलों में
तुम्हें बनाया है अप्रैल फ़ूल।
- जेन्नी शबनम (1. 4. 2016)
___________________