न आओ तुम सपनों में
*******
क्यों आते हो सपनों में बार-बार
जानते हो न मेरी नियति
क्यों बढ़ाते हो मेरी मुश्किलें
जानते हो न मेरी स्थिति।
विषमताएँ मैंने ख़ुद नहीं ओढ़ी जानेमन
न कभी चाहा कि ऐसा जीवन पाऊँ
मैंने तो अपनी परछाई से भी नाता तोड़ लिया
जीवन के हर रंग से मुँह मोड़ लिया।
कुछ सवाल होते हैं
पर अनपूछे
जवाब भी होते हैं
पर अनकहे
समझ जाओ न मेरी बात
बिन कहे मेरी हर बात।
न दिखाओ दुनिया की रंगीनी
रहने दो मुझे मेरे जागते जीवन में
मुमकिन नहीं कि तुम्हें सपने में देखूँ
न आया करो मेरे हमदम मेरे सपनों में।
- जेन्नी शबनम (3. 12. 2010)
_______________________
*******
क्यों आते हो सपनों में बार-बार
जानते हो न मेरी नियति
क्यों बढ़ाते हो मेरी मुश्किलें
जानते हो न मेरी स्थिति।
विषमताएँ मैंने ख़ुद नहीं ओढ़ी जानेमन
न कभी चाहा कि ऐसा जीवन पाऊँ
मैंने तो अपनी परछाई से भी नाता तोड़ लिया
जीवन के हर रंग से मुँह मोड़ लिया।
कुछ सवाल होते हैं
पर अनपूछे
जवाब भी होते हैं
पर अनकहे
समझ जाओ न मेरी बात
बिन कहे मेरी हर बात।
न दिखाओ दुनिया की रंगीनी
रहने दो मुझे मेरे जागते जीवन में
मुमकिन नहीं कि तुम्हें सपने में देखूँ
न आया करो मेरे हमदम मेरे सपनों में।
- जेन्नी शबनम (3. 12. 2010)
_______________________