वर्षा (10 ताँका)
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1.
तपती धरा
तन भी तप उठा
बदरा छाए
घूम-घूम गरजे
मन का भौंरा नाचे।
2.
कूकी कोयल
नाचे है पपीहरा
देख बदरा
चहके है बगिया
नाचे घर अँगना।
3.
ओ रे बदरा
कितना तड़पाया
अब तू माना
तेरे बिना अटकी
संसार की मटकी।
4.
गाए मल्हार
घनघोर घटाएँ
नभ मुस्काए
बूँदें खूब झरती
रिमझिम फुहार।
5.
बरसा पानी
याद आई है नानी
है अस्त व्यस्त
जीवन की रफ्तार
जलमग्न सड़कें।
6.
पौधे खिलते
किसान हैं हँसते
वर्षा के संग
मन मयूरा नाचे
बूंदों के संग-संग।
7.
झूमती धरा
झूमता है गगन
आई है वर्षा
लेकर ठंडी हवा
खिल उठा चमन।
8.
घनी प्रतीक्षा
अब जाकर आया
मेघ पाहुन
चाय संग पकौड़ी
पहुना संग खाए।
9.
पानी बरसा
झर-झर झरता
जैसे झरना,
सुन मेरे बदरा
मन हुआ बावरा।
10.
हे वर्षा रानी
यूँ रूठा मत करो
आ जाया करो
रवि से लड़कर
बरसो जमकर।
- जेन्नी शबनम (6. 7. 2019)
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