गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

385. हवा

हवा

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हवा कटार है, अंगार है, तूफ़ान है 
हवा जलती है, सुलगती है, उबलती है 
हवा लहू से लथपथ 
लाल और काले के भेद से अनभिज्ञ
बवालों से घिरी है। 
  
हवा ख़ुद से जिरह करती, शनैः-शनैः सिसकती है
हवा अपने ज़ख़्मी पाँव को घसीटते हुए 
दर-ब-दर भटक रही है 
हवा अपने लिए बैसाखी भी नहीं चाहती। 
 
वह जान चुकी है
हवा की अपनी मर्ज़ी नहीं होती 
ज़माने का रुख़
उसकी दिशा तय करता है। 

- जेन्नी शबनम (28.2.2013)
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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

384. यादें जो है ज़िन्दगी (5 सेदोका)

यादें जो है ज़िन्दगी (5 सेदोका)

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1.
वर्षा की बूँदें 
टप-टप बरसे 
मन का कोना भींगे, 
सींचती रही 
यादें खिलती रही  
यादें जो है ज़िन्दगी !

2.
जी ली जाती है 
कुछ लम्हें समेट
पूरी यह ज़िन्दगी,
पूर्ण भले हो  
मगर टीसती है 
लम्हे-सी ये ज़िन्दगी !

3.
महज नहीं
हाथ की लकीरों में 
ज़िन्दगी के रहस्य,
बतलाती हैं 
माथे की सिलवटें 
ज़िन्दगी के रहस्य !

4.
सीली ज़िन्दगी 
वक्त के थपेड़ों से 
जमती चली गई 
कैसे पिघले ?
हल्की-सी तपिश भी 
ज़िन्दगी लौटाएगी !

5.
शैतान हवा 
पलट दिया पन्ना 
खुल गई किताब 
थी अधपढ़ी
जमाने से थी छुपी 
ज़िन्दगी की कहानी !

- जेन्नी शबनम (सितम्बर 24, 2012)

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मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

383. औरत : एक बावरी चिड़ी (7 हाइकु) पुस्तक 30, 31

औरत : एक बावरी चिड़ी 

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1.
चिड़िया उड़ी
बाबुल की बगिया 
सूनी हो गई।

2.
ओ चिरइया 
कहाँ उड़ तू चली 
ले गई ख़ुशी।

3.
चिड़ी चाहती
मन में ये कहती-
''बाबुल आओ''

4.
चिड़ी कहती-
काश! वह जा पाती 
बाबुल-घर।

5.
बावरी चिड़ी
ग़ैरों में वो ढूँढती
अपनापन।

6.
उड़ी जो चिड़ी
रुकती नहीं कहीं 
यही ज़िन्दगी।

7.
लौट न पाई  
एक बार जो उड़ी 
कोई भी चिड़ी।

- जेन्नी शबनम (1. 2. 2013)
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सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

382. जाड़ा भागो (13 हाइकु) पुस्तक 29, 30

जाड़ा भागो

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1.
आँख मींचती
थर-थर काँपती 
ठंडी हवाएँ।

2.
आलसी दिन 
है झटपट भागा 
जो जाड़ा दौड़ा।

3.
सूरज सोता 
सर्द-सर्द मौसम
आग तापता।

4.
ज़रा-सी धूप 
पिटारी में छुपा लो 
सर्दी के लिए।

5.
स्वेटर-शाल
मन में इतराए 
जाड़ा जो आए।

6.
हार ही गई 
ठिठुरती हड्डियाँ
असह्य शीत। 

7.
कुनमुनाता
गीत गुनगुनाता  
सूरज जागा।

8.
मोती-सी बिछी 
सारी रात बिखरी
जाड़े की ओस। 

9.
सूर्य अकड़ू     
कम्बल औ रजाई 
देते दुहाई।

10.
दिन काँपता 
रात है ठिठुरती
ऐ जाड़ा, भागो!

11.
रस्सी पे टँगा   
घना काला कोहरा 
दिन औ रात।  

12.
सूर्य देवता 
अब जाग भी जाओ 
जाड़ा भगाओ।  

13.
सूरज जागा 
धूप खिलखिलाई   
कोहरा भागा।

- जेन्नी शबनम (26. 12. 2012)
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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

381. प्रेम का जादू (वेलेन्टाइन डे पर 7 हाइकु) पुस्तक 28

प्रेम का जादू 

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1.
प्रेम का पाग
घीमे-धीमे पकता
जो प्रेम सच्चा। 

2.
ख़ुद में लीन
गिरता-सँभलता
प्रेम अनाड़ी। 

3.
प्रेम का जादू 
सिर चढ़के बोले
जिसको लगे। 

4.
प्रेम की माला 
सब कोई जपता 
प्रेम न बूझा। 

5.
प्रेम की अग्नि 
ऊँच-नीच न देखे 
मन में जले। 

6.
प्रेम का काढ़ा
हर रोग की दवा 
पी लो ज़रा-सा। 

7.
प्रेम बंधन 
न रस्सी न साँकल
पर अटूट। 

- जेन्नी शबनम (14. 2. 2013)
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रविवार, 3 फ़रवरी 2013

380. हों मन सुवासित (नव वर्ष पर 7 हाइकु) पुस्तक 28

हों मन सुवासित 

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1.
शुभ प्रभात!
मंगल-कामनाएँ
नए साल में। 

2. 
खुशियाँ फैले 
हों मन सुवासित 
हम सब का। 

3.
स्वागत करें 
प्रेम व उल्लास से 
नव वर्ष का।  

4.
हँसके-रोके 
आख़िर बीत गया 
पुराना साल। 

5.
हो ख़ुशहाल 
यह सारा संसार 
मनवा चाहे। 

6.
नई उम्मीद 
नए साल से जागी 
परिपूर्ण हो। 

7.
पहली तिथी 
दो हज़ार तेरह
नूतन वर्ष। 

- जेन्नी शबनम (1. 1. 2013)
(नव वर्ष पर)
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