चलते रहें हम
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दूर आसमान के पार तक
या धरती के अंतिम छोर तक
हाथ थामे चलते रहें हम।
आओ कोई गीत गाएँ
प्रेम की बात करें
चलो यूँ ही चलते रहें हम।
तुम्हारी बाहों का सहारा
आँखें मूँद खो जाएँ
साथ चले स्वप्न चलते रहें हम।
'शब' तो जागती है रोज़
साथ जागो तुम भी कभी
और बस चलते रहें हम।
- जेन्नी शबनम (10. 3. 2011)
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दूर आसमान के पार तक
या धरती के अंतिम छोर तक
हाथ थामे चलते रहें हम।
आओ कोई गीत गाएँ
प्रेम की बात करें
चलो यूँ ही चलते रहें हम।
तुम्हारी बाहों का सहारा
आँखें मूँद खो जाएँ
साथ चले स्वप्न चलते रहें हम।
'शब' तो जागती है रोज़
साथ जागो तुम भी कभी
और बस चलते रहें हम।
- जेन्नी शबनम (10. 3. 2011)
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