मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

135. होश न लेना (क्षणिका) / hosh na lena (kshanika)

होश न लेना 

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हर हँसी में एक व्यथा
हर व्यथा की अपनी कथा
अनगिनत राज़ दफ़न सीने में
असंख्य वेदनाएँ ज़ब्त मन में
डरती हूँ होश खो न दूँ, हर राज़ खोल न दूँ,
'शब' की एक दुआ-
ओ मेरे ख़ुदा! साँसें ले लेना, होश न लेना। 

- जेन्नी शबनम (13. 4. 2010)
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hosh na lena (kshanika)

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har hansee mein ek vyatha
har vyatha ki apni katha
anginat raaz dafan seene mein
asankhya vednaayen zabt mann mein
darti hun hosh kho na dun, har raaz khol na dun,
'shab' ki ek dua- 
o mere khuda! saansein le lena, hosh na lena.

- Jenny Shabnam (13. 4. 2010)
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