मछली या समंदर
***
बिना अपनी सहमति
अभिशप्त गलियों से महज़ गुज़रना
बदनामी का सबब बन जाता है
वैसे ही जैसे किसी संक्रमित गली की बहती हुई हवा
कोढ़ की तरह मन में घाव बना देती है।
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बिना अपनी सहमति
अभिशप्त गलियों से महज़ गुज़रना
बदनामी का सबब बन जाता है
वैसे ही जैसे किसी संक्रमित गली की बहती हुई हवा
कोढ़ की तरह मन में घाव बना देती है।
विवशता की कहानी
जाने कैसे समंदर में विलीन हो जाती है
जब मछली जाल में पकड़कर आती है
तो समंदर निष्कलंक रह जाता है
सिर्फ़ मछली क्रूरता का दंश झेलती है।
एक सवाल दुनिया से
घात किसने लगाया
मछली या समंदर ने?
- जेन्नी शबनम (1.2.2012)
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घात किसने लगाया
मछली या समंदर ने?
- जेन्नी शबनम (1.2.2012)
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