स्त्री के बिना
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1.
अग्नि-परीक्षा
अब और कितना
देती रहे स्त्री।
2.
नारी क्यों पापी
महज़ देखने से
पर-पुरुष।
3.
परों को काटा
पिंजड़े में जकड़ा
मन न रुका।
4.
स्त्री को मिलती
मुट्ठी-मुट्ठी उपेक्षा
जन्म लेते ही।
5.
घूरती रही
ललचाई नज़रें,
शर्म से गड़ी।
6.
कुछ न पाया
ख़ुद को भी गँवाया
लांछन पाया।
7.
नारी के बिना
बसता अँधियारा
घर श्मशान।
- जेन्नी शबनम (8. 3. 3013)
(अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)
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