वर्षा (ताँका)
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1.
वर्षा की बूँदें
उछलती-गिरती
ठौर न पाती
मौसम बरसाती
माटी को तलाशती।
2.
ओ रे बदरा
इतना क्यों बरसे
सब डरते
अन्न-पानी दूभर
मन रोए जीभर।
3.
मेघ दानव
निगल गया खेत,
आया अकाल
लहू से लथपथ
खेत व खलिहान।
4.
बरखा रानी
झम-झम बरसी
मस्ती में गाती
खिल उठा है मन
नाचता उपवन।
5.
प्यासी धरती
अमृत है चखती
सोंधी-सी खूश्बू
मन को लुभाती
बरखा तू है रानी।
- जेन्नी शबनम (9. 9. 2018)
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