शनिवार, 18 जून 2022

743. साढ़े-सात सदी

साढ़े-सात सदी 

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बाबा जी ने चिन्तित होकर कहा   
शनि की दूसरी साढ़ेसाती चल रही है   
फलाँ ग्रह, इस घर से उस घर को देख रहा है   
फलाँ घर में राहु-केतु बैठा हुआ है   
फलाँ की महादशा
फलाँ की अन्तर्दशा चल रही है   
कोई भी विपत्ति कभी भी आ सकती है   
पर तुम चिन्ता न करो, हम सब ठीक कर देंगे   
कुछ पूजा पाठ करो, थोड़ा दान-दक्षिणा…। 
  
ओह बाबाजी! आप ठीक-ठीक नहीं देख रहे हैं   
मेरी साढ़ेसाती नहीं, साढ़े-सात सदी गुज़र रही है   
शनि महाराज को हम पसन्द हैं न   
सबके जीवन में साढ़े-सात, साढ़े-सात करके   
तीन बार ही रहते हैं   
पर मेरे साथ साढ़े-सात सदी से रह रहे हैं   
राहु-केतु पूरी दुनिया को छोड़   
सदियों से मेरे घर में ताका-झाँकी कर रहे हैं 
बाबाजी! ये लीजिए, मेरे लिए कुछ न कीजिए   
जाइए आज आप भी जश्न मनाइए। 
  
पूजा-पाठ, दान-दक्षिणा   
साढ़े-छह सदी तक तो सब किए   
फिर भी यह जीवन   
अब इस अन्तिम सदी में सब छोड़ दिए हैं   
दूसरी ढइया हो या तीसरी   
अन्तिम साढ़ेसाती हो या अन्तिम सदी   
अब राहु-केतु हों या शनि महाराज   
देखते रहें तिरछी नज़रों से या वक्री नज़रों से   
हमको परवाह नहीं, देखें या न देखें   
देखना हो तो देखें या भाड़ में जाएँ   
साढ़े-छह तो बीत गया यों ही   
साढ़े-सात सदी अब बीतने को है।   

-जेन्नी शबनम (18.6.2022) 
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