अलविदा कहती हूँ
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ख़्वाहिशें ऐसे ही दम तोड़ेंगी
जानते हुए भी नए-नए ख़्वाब देखती हूँ
दामन से छूटते जाते
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ख़्वाहिशें ऐसे ही दम तोड़ेंगी
जानते हुए भी नए-नए ख़्वाब देखती हूँ
दामन से छूटते जाते
जाने कितने पल
फिर भी वक़्त को समेटती हूँ
शमा फिर भी जलेगी
रातें फिर भी होंगी
साथ तुम्हारे बस एक रात आख़िरी चाहती हूँ
चाहकर टूटना या टूटकर चाहना
दोनों हाल में
फिर भी वक़्त को समेटती हूँ
शमा फिर भी जलेगी
रातें फिर भी होंगी
साथ तुम्हारे बस एक रात आख़िरी चाहती हूँ
चाहकर टूटना या टूटकर चाहना
दोनों हाल में
मैं ही तो हारती हूँ
दूरियाँ और भी बढ़ जाती है
मैं जब-जब पास आती हूँ
पास आऊँ या दूर जाऊँ
सिर्फ़ मैं ही
दूरियाँ और भी बढ़ जाती है
मैं जब-जब पास आती हूँ
पास आऊँ या दूर जाऊँ
सिर्फ़ मैं ही
मात खाती हूँ
न आए कोई आँच तुम पर
तुमसे दूर चली जाती हूँ
एक वचन देती हूँ प्रिय
ख़ुद से नाता तोड़ती हूँ
'शब' की हँसी गूँज रही
महफ़िल में सन्नाटा है
रूख़सत होने की बारी है
अब मैं
अलविदा कहती हूँ।
- जेन्नी शबनम (अगस्त 10, 2011)
न आए कोई आँच तुम पर
तुमसे दूर चली जाती हूँ
एक वचन देती हूँ प्रिय
ख़ुद से नाता तोड़ती हूँ
'शब' की हँसी गूँज रही
महफ़िल में सन्नाटा है
रूख़सत होने की बारी है
अब मैं
अलविदा कहती हूँ।
- जेन्नी शबनम (अगस्त 10, 2011)
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