बुधवार, 24 जुलाई 2013

413. धूप (15 हाइकु) पुस्तक 39,40

धूप

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1.
सूर्य जो जला   
किसके आगे रोए  
ख़ुद ही आग। 

2.
घूमता रहा 
सारा दिन सूरज 
शाम को थका। 

3.
भुट्टे-सी पकी
सूरज की आग पे    
फ़सलें सभी।

4.
जा भाग जा तू!
जला देगी तुझको  
शहर की लू।

5.
झुलसा तन 
झुलस गई धरा 
जो सूर्य जला।

6.
जल-प्रपात 
सूर्य की भेंट चढ़े 
सूर्य शिकारी।

7.
धूप खींचता 
आसमान से दौड़ा,
सूरज घोड़ा।

8.
ठंडे हो जाओ 
हाहाकार है मचा 
सूर्य देवता।

9.
असह्य ताप 
धरती कर जोड़े- 
'मेघ बरसो!'

10.
माना सबने- 
सर्वशक्तिमान हो 
शोलों को रोको।

11.
ख़ुद भी जले  
धरा को भी जलाए  
प्रचण्ड सूर्य।

12.
हे सूर्य देव!
कर दो हमें माफ़  
गुस्सा न करो।

13.
आग उगली  
बादल जल गया 
सूरज दैत्य।

14.
झुलस गया 
अपने ही ताप से 
सूर्य बेचारा।

15.
धूप के ओले  
टप-टप टपके 
सूरज फेंके।

- जेन्नी शबनम (1. 6. 2013)
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