सपना मँगाती है
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कुछ यादें सिमटी मुस्काती हैं
कुछ बातें अनकही शर्माती हैं।
ओ मीत पूछना कली से तुम
क्यों ख़ुशबू पर यूँ इतराती है।
बावरे भौरे से भी पूछना तुम
खिलती कली क्यों लुभाती है।
ओ साथी पास आ जाओ मेरे
ज़ालिम हवा बड़ी मदमाती है।
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कुछ यादें सिमटी मुस्काती हैं
कुछ बातें अनकही शर्माती हैं।
ओ मीत पूछना कली से तुम
क्यों ख़ुशबू पर यूँ इतराती है।
बावरे भौरे से भी पूछना तुम
खिलती कली क्यों लुभाती है।
ओ साथी पास आ जाओ मेरे
ज़ालिम हवा बड़ी मदमाती है।
झिझक नहीं सुन मेरे हमदम
आज याद तुम्हारी तड़पाती है।
'शब' का सपना आसमान में
आसमान से सपना मँगाती है।
- जेन्नी शबनम (21. 3. 2010)
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aasmaan se sapna mangaati hai
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kuchh yaaden simti muskaati hain
kuchh baaten ankahi sharmaati hain.
o meet puchhna kalee se tum
kyon khushboo par yun itaraati hai.
baaware bhounre se bhi puchhna tum
khilti kalee kyon lubhaati hai.
o saathi paas aa jaao mere
zaalim hawa badi madmaati hai.
jhijhak nahin sun mere humdum
aaj yaad tumhaari tadpaati hai.
''shab'' ka sapna aasmaan men
aasmaan se sapna mangaati hai.
- Jenny Shabnam (21. 3. 2010)
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