ऐसा वास्ता रखना
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हमारे दरम्यान इतना फ़ासला रखना
बसर हो सकें रिश्ते ऐसा वास्ता रखना।
लरजते आँसुओं के शबनमी बयाँ
दोस्तों की महफ़िल से बचा रखना।
काँटों से बचाके दामन हम आएँगे
वस्ल की शाम अधूरी बहला रखना।
कारवाँ थम जाए जो तूफ़ान से कहीं
ख़यालों की एक बस्ती सजा रखना।
बेमुरव्वत दुनिया की फ़िक्र कौन करे
मेरे वास्ते ज़िन्दगी का आसरा रखना।
सवाल पूछ ग़ैरों के सामने शर्मिंदा न करना
मेरे ज़ीस्त की नादानियों को छिपा रखना।
'शब' को मिल जाए अँधेरों से निज़ात
दिल में एक चराग तुम जला रखना।
- जेन्नी शबनम (3.3. 2012)
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