फिर आता नहीं
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जाने कब आएगा, मेरा वक़्त
दुनिया की सारी सौग़ात मेरी
फूलों की खुशबू, तारों की छतरी
मेरे अँगने में खिली रहे, सदा चाँदनी।
वो कोई सुबह
जब आँखों के आगे कोई धुँध न हो
वो कोई रात, जो अँधेरी मगर काली न हो
साँसों में ज़रा-सी थकावट नहीं
पैरों में कोई बेड़ी नहीं
उड़ती पतंगों-सी, गगन को छू लूँ
जब चाहे हवा से बातें करूँ
नदियों के संग बहती रहूँ
झीलों में डुबकी, मन भर लेती रहूँ
चुन-चुनकर, ख़्वाब सजाती रहूँ
सारे ख़्वाब हों, सुनहरे-सुनहरे
शहद की चाशनी में पके, मीठे गुलगुले-से।
धक् से, दिल धड़क गया
सपने में देखा, उसने मुझसे कहा-
तुम्हारा वक़्त कल आएगा
लम्हा भर भी सोना नहीं
हाथ बढ़ाकर पकड़ लेना झट से
खींचकर चिपका लेना कलेजे से
मंदी का समय है, सब झपटने को आतुर
चूकना नहीं
गया वक़्त फिर आता नहीं।
- जेन्नी शबनम (13. 12. 2013)
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