बुधवार, 31 अगस्त 2016

527. शबनम (तुकांत)

शबनम   

*******   

रात चाँदनी में पिघलकर   
यूँ मिटी शबनम   
सहर को ये ख़बर नहीं थी   
कब मिटी शबनम।    

दर्द की मिट्टी का घर   
फूलों से सँवरा   
दर्द को ढकती रही पर   
दर्द बनी शबनम।     

अपनों के शहर में   
है कोई अपना नहीं   
ठुकराया आसमाँ और   
उफ़ कही शबनम।     

चाँद तारों के नगर में   
हुई जो तकरार   
आसमान से टूटकर   
तब ही गिरी शबनम।     

शब व सहर की दौड़ से   
थकी तो बहुत मगर   
वक़्त के साथ चली   
अब भी है वही शबनम।     

- जेन्नी शबनम (31. 8. 2016)   
____________________

बुधवार, 24 अगस्त 2016

526. प्रलय (क्षणिका)

प्रलय   

*******   
नहीं मालूम कौन ले गया रोटी और सपनों को   
सिरहाने की नींद और तन के ठौर को   
राह दिखाते ध्रुव तारे और दिन के उजाले को    
मन की छाँव और अपनों के गाँव को,    
धधकती धरती और दहकता सूरज   
बौखलाई नदी और चीखता मौसम 
बाट जोह रहा है, मेरे पिघलने और बिखरने का   
मैं ढहूँ तो एक बात हो, मैं मिटूँ तो कोई बात हो। 

- जेन्नी शबनम (24. 8. 2016)   
_____________________

गुरुवार, 18 अगस्त 2016

525. चहकती है राखी (राखी पर 15 हाइकु) पुस्तक 80, 81

चहकती है राखी   

*******   

1.   
प्यारी बहना   
फूट-फूट के रोई   
भैया न आया   

2.   
राखी है रोई   
सुने न अफ़साना   
कैसा ज़माना   

3.   
रिश्तों की क्यारी   
चहकती है राखी   
प्यार जो शेष   

4.   
संदेशा भेजो   
आया राखी त्योहार    
भैया के पास   

5.   
मन की पीड़ा   
भैया से कैसे कहें?   
राखी तू बता    

6.   
कह न पाई   
व्याकुल बहना,   
राखी निभाना   

7.   
संदेशा भेजो   
मचलती बहना   
आएगा भैया   

8.   
बहना रोए   
प्रेम का धागा लिये,   
रिश्ते दरके   

9.   
सावन आया   
नैनों से नीर बहे   
नैहर छूटा    

10.   
मन में पीर   
मत होना अधीर   
आज है राखी   

11.   
भाई न आया   
पर्वत-सा ये मन   
फूट के रोया    

12.   
राखी का थाल   
बहन का दुलार   
राह अगोरे    

13.   
रेशमी धागा   
जोड़े मन का नाता   
नेह बढ़ाता   

14.   
सूत है कच्चा   
जोड़ता नाता पक्का   
आशीष देता    

15.   
रक्षा-कवच   
बहन ने है बाँधी   
राखी जो आई   

- जेन्नी शबनम (18. 8. 2016)   
____________________

सोमवार, 15 अगस्त 2016

524. जय भारत (स्वतंत्रता दिवस पर 10 हाइकु) पुस्तक 79, 80

जय भारत

*******   

1.   
तिरंगा झूमा    
देख जश्ने-आज़ादी,   
जय भारत!   

2.   
मुट्ठी में झंडा   
पाई-पाई माँगता  
देश का लाल।    

3.   
भारत माता  
सरेआम लुटती,   
देश आज़ाद।    

4.   
जिन्हें सौंपके   
मर मिटे थे बापू,   
देश लूटते।    

5.   
महज़ नारा   
हम सब आज़ाद,   
सोच ग़ुलाम   

6.   
रंग भी बँटा   
हरा व केसरिया   
देश के साथ    

7.   
मिटा न सका   
प्राचीर का तिरंगा   
मन का द्वेष    

8.   
सबकी चाह-  
अखंड हो भारत,   
देकर प्राण   

9.   
लगाओ नारे   
आज़ाद है वतन   
अब न हारे   

10.   
कैसे मनाए   
आज़ादी का त्यौहार,   
भूखे लाचार    

- जेन्नी शबनम (14. 8. 2016)
____________________

सोमवार, 8 अगस्त 2016

523. उसने फ़रमाया है (तुकांत)

उसने फ़रमाया है   

*******   

ज़िल्लत का ज़हर कुछ यूँ वक़्त ने पिलाया है   
जिस्म की सरहदों में ज़िन्दगी दफ़नाया है। 

सेज पर बिछी कभी भी जब लाल सुर्ख कलियाँ   
सुहागरात की चाहत में मन भरमाया है। 

हाथ बाँधे ग़ुलाम खड़ी हैं खुशियाँ आँगन में   
जाने क्यूँ तक़दीर ने उसे आज़ादी से टरकाया है। 

हज़ार राहें दिखतीं किस डगर में मंज़िल किसकी   
डगमगाती क़िस्मत से हर इंसान घबराया है।    

'शब' के सीने में गढ़ गए हैं इश्क़ के किस्से  
कहूँ कैसे कोई ग़ज़ल जो उसने फ़रमाया है।    

- जेन्नी शबनम (8. 8. 2016)
____________________

गुरुवार, 4 अगस्त 2016

522. चलो चलते हैं

चलो चलते हैं

*******  

सुनो साथी!  
चलो चलते हैं
नदी के किनारे ठंडी रेत पर
पाँव को ज़रा ताज़गी दे वहीं ज़रा सुस्ताएँगे
अपने-अपने हिस्से का अबोला दर्द  
रेत से बाँटेंगे  
न तुम कुछ कहना  
न हम कुछ पूछेंगे  
अपने-अपने मन की गिरह ज़रा-सी खोलेंगे  
मन की गाथा  
जो हम रचते हैं काग़ज़ के सीने पर  
सारी की सारी पोथियाँ वहीं बहा आएँगे  
अँजुरी में जल ले संकल्प दोहराएँगे  
और अपने-अपने रास्ते पर बढ़ जाएँगे  
सुनो साथी!  
चलते हैं नदी के किनारे  
ठंडी रेत पर वहीं ज़रा सुस्ताएँगे    

- जेन्नी शबनम (4. 8. 2016)  
_____________________


मंगलवार, 2 अगस्त 2016

521. खिड़की मर गई है (क्षणिका)

खिड़की मर गई है 

*******  

खिड़की बंद हो गई, वह बाहर नहीं झाँकती
आसमान और ताज़ी हवा से नाता टूट गया  
सूरज दिखता नही पेड़ पौधे ओट में चले गए
बेचारी खिड़की उमस से लथपथ घुट रही है
मानव को कोस रही है
खिड़की अब अँधेरों से भी नाता तोड़ चुकी है
खिड़की सदा के लिए बंद हो गई है  
गोया खिड़की मर गई है।  

- जेन्नी शबनम (2. 8. 2016)
___________________