लम्हों का सफ़र
मन की अभिव्यक्ति का सफ़र
शनिवार, 13 मई 2017
546. तहज़ीब (क्षणिका)
तहज़ीब
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तहज़ीब सीखते-सीखते
तमीज़ से हँसने का शऊर आ गया
तमीज़ से रोने का हुनर आ गया
न आया तो तहज़ीब और तमीज़ से
ज़िन्दगी जीना नहीं आया।
- जेन्नी शबनम (13. 5. 2017)
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