सुख-दुःख जुटाया है
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तिनका-तिनका जोड़कर सुख-दुःख जुटाया है
सुख कभी-कभी झाँककर
अपने होने का एहसास कराता है
दुःख सोचता है कभी तो मैं भूलूँ उसे
ज़रा देर वो आराम करे
मेरे मायके वाली टिन की पेटी में।
मेरे मायके वाली टिन की पेटी में।
- जेन्नी शबनम (24. 4. 2017)
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