आँखें रोएँगी और हँसेंगे हम
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ये आँखें रोएँगी और हँसेंगे हम।
सपनों की बातें सारी झूठी-मुठी
लेकिन कच्चे-पक्के सब बोएँगे हम।
मालूम तो थी तेरी मग़रूरियत
पर तुझको चाहा कैसे भूलेंगे हम।
तेरे लब की हँसी पे हम मिट गए
तुझसे कभी पर कह न पाएँगे हम।
तुम शेर कहो हम ग़ज़ल कहें
ऐसी हसरत ख़ुद मिटाएँगे हम।
तू जानता है पर ज़ख़्म भी देता है
तुझसे मिले दर्द से टूट जाएँगे हम।
किसने कब-कब तोड़ा है 'शब' को
यह कहानी नही सुनाएँगे हम।
- जेन्नी शबनम (5. 2. 2015)
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