हिसाब-किताब के रिश्ते
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दिल की बातों में ये हिसाब-किताब के रिश्ते
परखते रहे कसौटी पर बेकाम के रिश्ते।
वक़्त के छलावे में जो ज़िन्दगी ने चाह की
कतरा-कतरा बिखर गए ये मखमल-से रिश्ते।
दर्द की दीवारों पे हसीन लम्हे टँके थे
गुलाब संग काँटों के ये बेमेल-से रिश्ते।
लड़खड़ाकर गिरते फिर थम-थम के उठते रहे
जैसे समंदर की लहरें व साहिल के रिश्ते।
नाम की ख़्वाहिश ने जाने ये क्या कराया
गुमनाम सही पर क्यों बदनाम हुए ये रिश्ते।
चाँदी के तारों से सिले जज़्बात के रिश्ते
सुबह की ओस व आसमाँ के आँसू के रिश्ते।
किराए के मकाँ में रहके घर को हैं तरसे
अपनों की आस में 'शब' ने ही निभाए रिश्ते।
- जेन्नी शबनम (8. 9. 2017)
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