राम नाम सत्य है
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कोई तो पुकार सुनो
कोई तो साहस करो
चीख नहीं निकलती
पर दम निकल रहा है उनका।
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कोई तो पुकार सुनो
कोई तो साहस करो
चीख नहीं निकलती
पर दम निकल रहा है उनका।
वे अपने दर्द में ऐसे टूटे हैं
कि ज़ख़्म दिखाने से भी कतराते हैं
उनकी सिसकी मुँह तक नहीं आती
गले में ही अटक जाती है
करुणा नहीं चाहते
मेहनत से जीने का अधिकार चाहते हैं
जो उन्हें मिलता नहीं
और छीन लेने का साहस नहीं
क्योंकि बहुत तोड़ा गया वर्षों-वर्ष उनको
दम टूट जाए, पर ज़ुबान चुप रहे
इसी कोशिश में रोज़-रोज़ मरते हैं।
चिथड़ों में लिपटे बच्चों की ज़ुबान भी चुप हो गई है
रोने के लिए पेट में अनाज तो हो
देह में जान तो हो
लहलहाती फ़सलें, प्रकृति लील गई
देह की ताक़त, ख़ाली पेट की मजूरी तोड़ गई।
हाथ अकेला, भँवर बड़ा
हाथ अकेला, भँवर बड़ा
उफ़! इससे तो अच्छा है जीवन का अन्त
एक साथ सब बोलो-
''राम नाम सत्य है!''
- जेन्नी शबनम (15.8.2011)
एक साथ सब बोलो-
''राम नाम सत्य है!''
- जेन्नी शबनम (15.8.2011)
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