गुरुवार, 20 मार्च 2025

791. गौरैया (9 हाइकु)

गौरैया (हाइकु)

1.
नन्ही-सी जान
फुदक फुदकके
नाच दिखाती।

2.
प्यारी गौरैया
बचपन की सखा
मुझे भूली वो।

3.
छोटी गौरैया
चीं-चीं-चीं चहकके
हमें लुभाती।

4.
गौरैया लुप्त,
तकनीकी प्रगति
बनी दुश्मन।

5.
रोई तो होगी
अपने छूटे होंगे
गौरैया मूक।

6.
फिर से आओ
अँगना चहकाओ
सब है सूना।

7.
गौरैया दुःखी
न अटारी न वन
नहीं ठिकाना।

8.
गौरैया प्यारी
प्रदूषण से हारी
लुप्त हो गई।

9.
मेरी गौरैया
आओ न बतियाएँ
सुख व दुःख।

- जेन्नी शबनम (20.3.25)
(विश्व गौरैया दिवस)
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गुरुवार, 13 मार्च 2025

790. होली (होली पर 20 हाइकु)

होली

(होली पर 20 हाइकु)


1.
भाँग पीकर
पुआ-पूड़ी खाकर
होली अघाई।

2.
होली भौजाई
लगाकर गुलाल
ख़ूब लजाई।

3.
धर्म व जाति
भेद नहीं करती
भोली है होली।

4.
होलिका जली
जलकर दिखाई
कर्म का पथ।

5.
दे बलिदान
होलिका ने सिखाया
सत्य का ज्ञान।

6.
देकर प्राण
होलिका ने बचाया 
धर्म का मान।

7.
पगली हवा
रंग उड़ाके बोली-
गाओ फगुआ।

8.
उड़ाओ रंग
फगुआ को भाता है
गुलाबी रंग।

9.
रँगी बावरी
साँवरे के रंग में
खेलती होली।

10.
उड़ा गुलाल
पिया की प्यारी
हुई है लाल।

11.
भेद व द्वेष
मन से है मिटाती
होली सन्मार्गी।

12.
आकर खेलो
अतीत को भूलके
रंगीली होली।

13.
अब तो भूलो
ग़लतफ़हमियाँ
होली खेलो न!

14.
मन भी रँगा
फगुआ के फाग से
मन है बँधा।

15.
रंग लेकर
चली हवा बसन्ती
धरा रंगती।

16.
सब भौजाई
अपनी या पराई
होली है भाई।

17.
हँसी-ठिठोली
मोहल्ले की भौजाई
सबको भाई।

18.
लगाओ रंग
करो ख़ूब धमाल
होली है यार।

19.
फाग का रंग  
अकेला यह मन  
किसे लगाऊँ?

20.
आई है होली   
किससे बाटूँ पीर 
मन अधीर। 

जेन्नी शबनम (13.3.25)
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शनिवार, 8 मार्च 2025

789. एक सवाल

एक सवाल 

***

भार्या होने का दण्ड 
बार-बार भोगती रही
अपमान का घूँट पीती रही
और तुम सभी नज़रें झुकाए 
कायर बने बैठे तमाशा देखते रहे
तुम सभी के पुरुष होने पर
तुम सभी के योद्धा होने पर 
ऐसे वचन पर
ऐसे धर्म पर 
लानत है 
एक सवाल है मेरा  
मेरी जगह तुम्हारी पुत्री होती तो?
क्या फिर भी उसे दाँव पर लगा देते?
क्या उसे भी पाँच पुरुषों में बाँट देते?
भरी सभा में निर्वस्त्र होने देते?
मेरी हँसी नाजाएज़ सही
पर क्या ये जाएज़ है?
पाँच पतियों के होते हुए मैं असहाय रही   
रक्षा करने धर्म-भाई आया 
क्या तुम में से कोई वचन तोड़ नहीं सकता था?
पति का धर्म निभा नहीं सकता था?
पत्नी की रक्षा न कर सकने वाले तुम पाँचों पुरुष  
तुम सभी पर लानत है। 

-जेन्नी शबनम (8.3.25)
(महिला दिवस)
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सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

788. प्रवासी पूत (20 हाइकु)

प्रवासी पूत  

*** 

1.
नीड़ की यादें 
मन हुआ बेकल
प्रवासी पूत। 

2.
देश को लौटा
रोज़ी-रोटी की खोज
प्रवासी बेटा। 

3.  
दुःख में बेटा
विदेश की धरती  
बना बेगाना।

4.
पेट के वास्ते
बेटा बसा विदेश,
दुःखी माँ-बाप। 

5.
छूटा है देश
ज़िम्मेदारी का दंश
अकेला बच्चा।

6.
अकेला बच्चा 
माँ-बाप निस्सहाय
प्रवासी पूत।

7.
अकेला बेटा 
विदेश की धरती,
दुःख है भारी।

8.
प्रवासी पूत 
चढ़ गया सूली पे,
बेरोज़गारी।

9.
बेटा है देशी 
रोज़गार की खोज
बना विदेशी।

10.
काँटों से घिरा
प्रवासी बना बच्चा,
फूल भेजता।

11.
देश की याद
हर रोज़ सताती
क्या करे बेटा?

12.
विदेशी पूत
अपना न सहारा
दुःख है साथी।

13.
देश पराया  
चकमक दुनिया
बेटे को भाया।   
 
14.
बेगार बेटा 
विदेश का सपना,  
विष निगला। 

15.
फन्दे पे झुला 
माँ-बाप का सहारा 
प्रवासी बेटा। 

16.
विदेशी लोभ 
माँ-बाप बने ग़ैर,  
निर्मोही बेटा। 

17. 
माँ-बाबा मृत, 
राह अगोरे बेटे की 
अस्थि-कलश! 

18.
सुख की रातें 
मटमैली हैं यादें 
देश की बातें। 

19.
कपूत पूत 
विदेश बसा, छोड़
वृद्ध माँ-बाप।   

20.
सपूत पूत  
माँ-बाप बिन दुःखी 
विदेशी ज़मीं। 

-जेन्नी शबनम (10.2.2025)
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मंगलवार, 7 जनवरी 2025

787. तुम्हें जीत जाना है

तुम्हें जीत जाना है

***


जीवन की हर रस्म निभाने का समय आ गया है
उस चक्रव्यूह में समाने का समय आ गया है
जिसमें जाने के रास्तों का पता नहीं
न बाहर निकलने का पता होता है
इस चक्रव्यूह में तय, कब कोई रास्ता होता है?
यह वह समय है, जब हर पल समझ से परे हो जाता है।

जीवन कभी आसमान की परिधि में महसूस करता है 
तो कभी आसमान से धरती पर पटक दिया जाता है
जिस समय को अपना समझते हैं
उसके द्वारा पूरा-का-पूरा वजूद झटक दिया जाता है
उल्लास से मन भीग रहा होता है 
कि अवसाद का अनदेखा साया मँडराने लगता है। 

यथार्थ के धरातल पर कुदरत की माया दिखेगी    
तभी दुश्चिंताओं की काली छाया दिखेगी  
हर स्वप्न अधूरा-सा लगेगा
जीवन अर्थहीन-सा लगेगा
सपनों का सुन्दर संसार सामने होगा
मगर ज़िम्मेदारियों से मन घबराएगा
पथ तो चुन लिया, मगर सफल न होने की सम्भावना  
मन को व्याकुल करेगी
सोचे-विचारे रास्ते, अँधेरे से घिरे दिखेंगे
न ठहरने का ठौर होगा, न रास्तों के सिरे दिखेंगे। 

राह उचित है या अनुचित
यह अपनी-अपनी तरह से सब सोचते हैं 
जीवन हमारा है, रास्ता हमें ही खोजना होता है  
जीवन के सफ़र में तय कब कोई रास्ता होता है?
अनजाना या अनचाहा हो, पर चलते हैं 
मगर जहाँ पहुँच गए, वहाँ से न रास्ते
न पथिक लौटते हैं।

यह वह समय है जब निर्णय पर सन्देह नहीं 
भरोसा करना होगा
रास्ता कच्चा हो या पक्का आगे बढ़ना होगा 
सम्भव है चुनाव ग़लत हो जाए
मन टूट जाए
पर हौसला टूटने नहीं देना है
मंज़िल इसी पर कहीं होगी
रास्ता छूटने नहीं देना है
मन जो चाहे वह करना है
काँटे तो मिलेंगे ही यही मानकर यही जानकार 
फूल चुनना है।

चिन्तन-मनन के बाद भी सफ़र न सुहाए
तो थमकर-सोचकर नई राह तलाशना है
दुःख को हार नहीं, हौसले में बदलना है
इस सत्य को स्वीकार करना है 
कि दिल की तरह दिन-रात केवल चलना है
एक-न-एक दिन वह समय अवश्य आएगा
जब स्वयं पर गर्व होगा
स्वाभिमान से परिपूर्ण जीवन होगा
कठिनाइयों पर विजय होगी
हार नहीं, साथ में बस साहस होगा
हर सवाल का सामने जवाब होगा
और उस दिन फिर से ज़िन्दगी का हिसाब होगा।  

प्रयास का परिणाम अवश्य सुखद होता है
जीवन सुन्दर है, सुन्दरता से सँवारना है 
स्वर्ग आज आकाश पर है तो क्या 
धरती पर उतारना है 
हर नए दिन को आनन्दमय बनाना है
जीवन से पलों का एक रिश्ता है, वह रिश्ता निभाना है
जीवन को जीवित रखना है, बेशक पलों को बीत जाना है 
यह लड़ाई है या खेल, बस तुम्हें जीत जाना है। 

-जेन्नी शबनम (7.1.2025)
(पुत्री के 25वें जन्मदिन पर)
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बुधवार, 1 जनवरी 2025

786. नव वर्ष (20 हाइकु)

नव वर्ष 

***

1.
मन में आस-
नव वर्ष की भोर
हो पुनर्जन्म।

2.
लेकर आशा
नव वर्ष है आया
शुभ सन्देश।

3.
उँगली थामे
नव वर्ष की भोर
घूमने चली।

4.
चहकती है
नव वर्ष की भोर
ख़ूब है शोर।

5.
ठिठुरन है
पर मन में जोश
नूतन वर्ष। 

6.
पहली तिथि
नव वर्ष की भोर
ठण्ड से काँपी।

7.
जश्न की रात
स्वागत में संसार
नवीन वर्ष।

8.
धुँध में आई
नव वर्ष की भोर
मन विभोर।  

9.
दुःख को भूलें
नव वर्ष का दिन
स्वागत करें।

10.
नवीन वर्ष
उमंग पसारने
फिर से आया। 

11.
पिछला वर्ष
बना है इतिहास
याद आएगा।

12.
नूतन वर्ष
धक्का देके भगाया
पुराना वर्ष।

13.
साल पुराना
बन गया अतीत,
नया आएगा।

14.
स्मृति छोड़के
चुपचाप गुज़रा
साल पुराना।

15.
भोर की रश्मि
नव वर्ष को थामे
वक़्त पर आई।

16.
सन्देशा लाया-
वक़्त के साथ चलो,
नवीन वर्ष। 

17.
छुड़ाके लौटा
नए साल का हाथ
पिछला साल।

18.
याद दिलाता
वक़्त का बदलाव
नूतन वर्ष।

19.
बिछड़ गया
सुख-दुःख का साथी
पिछला साल।

20.
नूतन वर्ष,
वक़्त दोहराएगा
काल का क्रम।

-जेन्नी शबनम (1.1.2025)
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