मग़ज़ का वह हिस्सा
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काट देने का मन होता है
जहाँ पर विचार जन्म लेते हैं
और फिर होती है
व्यथा की अनवरत परिक्रमा।
जहाँ पर विचार जन्म लेते हैं
और फिर होती है
व्यथा की अनवरत परिक्रमा।
जाने मग़ज़ का कौन-सा हिस्सा जवाबदेह है
जहाँ सवाल-ही-सवाल उगते हैं, जवाब नहीं उगते
जो मुझे सिर्फ़ पीड़ा देते हैं।
उस हिस्से के न होने से
न विचार जन्म लेंगे
न वेदना की गाथा लिखी जाएगी
न कोई अभिव्यक्ति होगी
न विचार जन्म लेंगे
न वेदना की गाथा लिखी जाएगी
न कोई अभिव्यक्ति होगी
न कोई भाषा
न कविता।
-जेन्नी शबनम (21.9.2015)
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