किसी बोल ने चीर तड़पाया
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पोर-पोर में पीर समाया
किसने है ये तीर चुभाया।
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पोर-पोर में पीर समाया
किसने है ये तीर चुभाया।
मन का हाल नहीं पूछा और
पूछा किसने धीर चुराया।
गूँगी इच्छा का मोल ही क्या
गंगा का बस नीर बताया।
नहीं कभी कोई राँझा उसका
फिर भी सबने हीर बुलाया।
न भूली शब्दों की भाषा 'शब'
किसी बोल ने चीर तड़पाया।
- जेन्नी शबनम (29. 10. 2010)
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