शुक्रवार, 6 मार्च 2009

33. ख़ुशनसीबी की हँसी (क्षणिका)

ख़ुशनसीबी की हँसी 

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चोट जब दिल पर लगती है
एक आह-सी उठती है, एक चिंगारी, दहकती है
चुपके से दिल रोता है और एक हँसी गूँजती है। 
सब पूछते- बहुत ख़ुश हो क्यों?
मैं कहती- ये ख़ुशनसीबी की हँसी है
और चुपचाप एक आँसू दिल में उतरता है।  

- जेन्नी शबनम (नवम्बर 1995)
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1 टिप्पणी:

शैफालिका - ओस की बूँद ने कहा…

बहुत खूब कहा है। यहाँ भी नजरें इनायत करें।
पल भर