गुरुवार, 29 अक्टूबर 2009

91. पैग़ाम चाँद को सुना जाना (तुकांत) / paighaam chaand ko suna jaanaa (tukaant)

पैग़ाम चाँद को सुना जाना

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चाँद खिले तो छत पर आ जाना, महूरत हमें भी बता जाना
पैग़ाम हम चाँद से पूछेंगे, अपना पैग़ाम चाँद को सुना जाना 

इबादत की वो पाक घड़ी, जब साथ एक युग हम जी आए
मुक़म्मल सफ़र उम्र भर का, वो पल मेरा हमें दिला जाना 

वक़्त के घाव थे बहुत, तुम्हारे ज़ख़्मों को हम कैसे छुपाएँगे
एक निशानी मेरी पेशानी पे, जो तुमने दिए वो मिटा जाना 

वक़्त ने दिए थे इतने ही लम्हे, वादा था कि बिछड़ जाना है
मिटने का दर्द हम सह लेंगे, अपनी दुनिया में हमें छुपा जाना 

न चाह कोई न माँग तुम्हारी, कमबख़्त ये दिल समझता नहीं
उस जहाँ में ढूँढ़ेंगे, मेरे अंतिम पल में अपनी छवि दिखा जाना 

हँसने की कसम देते हो सदा, इतने ज़ालिम क्यों हो प्रियतम
आज एक कसम है तुमको मेरी, हर कसम से हमें छुड़ा जाना 

तुम कृष्ण हो किसी राधा के, एक मीरा भी तुममे रहती है
देव अराध्य हो तुम मेरे, इस 'शब' को न तुम भुला जाना 

- जेन्नी शबनम (28. 10. 2009)
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paighaam chaand ko suna jaana

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chaand khile to chhat par aa jaanaa, mahurat hamein bhi bata jaanaa,
paighaam hum chaand se puchhenge, apnaa paighaam chaand ko sunaa jaanaa.

ibaadat kee wo paak ghadee, jab saath ek yug hum jee aaye,
muqammal safar umra bhar ka, wo pal mera hamein dilaa jaanaa.

waqt ke ghaaw theye bahut, tumhaare zakhmon ko hum kaise chhupayenge,
ek nishaanee meree peshaani pe, jo tumne diye wo mita jaanaa.

waqt ne diye theye itne hin lamhe, waadaa thaa ki bichhad jaanaa hai,
mitne ka dard hum sah lenge, apnee duniya mein hamein chhupaa jaanaa.

na chaah koi na maang tumhaari, kambakht ye dil samajhta nahin,
us jahaan mein dhundhenge, mere antim pal mein apnee chhavi dikha jaanaa.

hansne kee kasam dete ho sadaa, itne zaalim kyu ho priyatam,
aaj ek kasam hai tumko meree, har kasam se hamein chhudaa jaanaa.

tum krishna ho kisi raadha ke, ek meera bhi tumamein rahtee hai,
dev araadhya ho tum mere, is 'shab' ko na tum bhula jaanaa.

- Jenny Shabnam (28. 10. 2009)
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2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

वक़्त के घाव थे बहुत, तुम्हारे ज़ख्मों को हम कैसे छुपायेंगे,
एक निशानी मेरी पेशानी में, जो तुम ने दिए वो मिटा जाना |

वक़्त ने दिए थे इतने हीं लम्हे, वादा था कि बिछड़ जाना है,
मिटने का दर्द हम सह लेंगे, अपनी दुनिया में हमें छुपा जाना
जेन्नी जी सच पूछे तो जब से मैं ने आपकी रचनाओ कों पढना शुरू किया मैं आपके शब्दों और अभिव्यक्तियों का कायल हो गया हूँ |इस कनीज में इतनी हिम्मत नहीं की आपके लिखे शेरों में तुलना की परख रख सके बस इतना कहना है की बस आपको पढ़ते हुए दिल कों बहुत अच्छा लगता है
स्नेह समेत
सचदेव

रश्मि प्रभा... ने कहा…

और इस तरह चाँद के बहाने हम साथ हो लेंगे.......