क़दम ताल
***
समय की भट्टी में पककर
कभी कंचन तो कभी बंजर बन जाता है जीवन
कभी कोई आकार ले लेता है
तो कभी सदा के लिए जल जाता है जीवन।
सोलह आना सही-
आँखें मूँद लेने से समय रुकता नहीं
न थम जाने से ठहरता है
निदान न पलायन में है
न समय के साथ चक्र बन जाने में है।
मुनासिब यही है
समय चलता रहे अपनी चाल
और हम चलें अपनी रफ़्तार
मिलाकर समय से क़दम ताल।
-जेन्नी शबनम (9.9.2013)
_________ _________
10 टिप्पणियां:
समय चलता रहे अपनी चाल
और हम चलें
अपनी रफ़्तार
मिला कर समय से
कदम ताल !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !
RECENT POST : समझ में आया बापू .
समय के साथ कदम ताल करने वाले को मंजिल मिल ही जाती है ... इसको नकारने से कुछ नही होता ...
समय के साथ कदमताल जरुरी है --अच्छा है
latest post: यादें
bahut achchha
सच समय कभी रुकता नहीं....
बेहतर यही है की हम अपने कदम को समय के कदम ताल से मिला लें ..
क्या बात है ... ऐसे ही कुछ शब्द मिलेंगे आपको .... यहाँ भी :) उम्मीदों की मुंडेर पे
बिलकुल सही कहा
समय को अपनी रफ़्तार चलने दीजिए हम अपनी रफ़्तार चलें
वाह बहुत खूब
निदान न पलायन में है
न समय के साथ चक्र बन जाने में है,
मुनासिब यही है
समय चलता रहे अपनी चाल
और हम चलें
अपनी रफ़्तार
मिला कर समय से
कदम ताल !
sunder panktiyna
निदान न पलायन में है
न समय के साथ चक्र बन जाने में है,
मुनासिब यही है
समय चलता रहे अपनी चाल
और हम चलें
अपनी रफ़्तार
मिला कर समय से
कदम ताल !
sunder panktiyna
एक टिप्पणी भेजें