चाँद-चाँदनी
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1.
तप करताश्मशान में रात को
अघोरी चाँद। !
2.
चाँद न आया
इंतज़ार करती
रात परेशाँ।
इंतज़ार करती
रात परेशाँ।
3.
वादाख़िलाफ़ी
चाँद ने की आज भी
फिर न आया।
4.
ख़्वाबों में आई
दबे पाँव चाँदनी
बरगलाने।
दबे पाँव चाँदनी
बरगलाने।
5.
तमाम रात
आँधियाँ चलीं, पर
चाँद न उड़ा।
6.
पूरनमासी
जिनगी में है लाई
पी का सनेस।
आँधियाँ चलीं, पर
चाँद न उड़ा।
6.
पूरनमासी
जिनगी में है लाई
पी का सनेस।
7.
नशे में धुत्त
लड़खड़ाता चाँद
झील में डूबा।
लड़खड़ाता चाँद
झील में डूबा।
- जेन्नी शबनम (11. 4. 2014)
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11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (18-04-2014) को "क्या पता था अदब को ही खाओगे" (चर्चा मंच-1586) में अद्यतन लिंक पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चाँद के इतने सारे रूप गुलज़ार साहब के बाद यहीं देख रहा हूँ!! एक बार मैंने भी ट्राई किया था!! सारे के सारे बहुत ही ख़ूबसूरत हैं. दो और तीन पुनरावृत्त हुए हैं और पूरनमासी ने मन मोह लिया, शब्दों के चयन के कारण!!
बहुत सुंदर हायकू.
नई पोस्ट : सृष्टि का नियंता : स्त्री या पुरुष
bhavpurn-***
बहुत उम्दा लेख!
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जानिए - ब्लॉग साइडबार की 5 प्रमुख ग़लतियाँ
सुन्दर प्रस्तुति...
आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (20-04-2014) को ''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर
आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (20-04-2014) को ''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर
सभी हायकू बहुत सुन्दर हैं..
बहुत सुन्दर हाइकु...
bahut sundar hayku chand ki tarah ki chandni bikherte huye ...
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