दूध-सी हैं लहरें
(हाइगा लेखन का प्रथम प्रयास- 8 हाइगा)
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1.
सूरज झाँका
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सूरज झाँका-
सागर की आँखों में
रूप सुहाना।
सागर की आँखों में
रूप सुहाना।
2.
क़दमों के निशान
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मिट जाएँगे
क़दमों के निशान,
यही जीवन।
क़दमों के निशान,
यही जीवन।
3.
सागर नीला
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अद्भुत लीला-
दूध-सी हैं लहरें,
सागर नीला।
दूध-सी हैं लहरें,
सागर नीला।
4.
अथाह नीर
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5.
सूरज लाल
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6.
लहरें दौड़ी आईं
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पाँव चूमने
लहरें दौड़ी आईं,
मैं सकुचाई।
लहरें दौड़ी आईं,
मैं सकुचाई।
7.
उतर जाऊँ-
सागर में खो जाऊँ
सागर सखा!
सागर में खो जाऊँ
सागर सखा!
8.
बादल व सागर
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-जेन्नी शबनम (20.9.2014)
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7 टिप्पणियां:
कमाल के हैं सभी हाइकू ...
गज़ब के फोटो भी ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (29-09-2014) को "आओ करें आराधना" (चर्चा मंच 1751) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
शारदेय नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जेन्नी शबनम जी दमदार हाईकू हैं आपके; जीवन सृंगार, प्रकृति, वाह्य और आंतरिक जगत की सुंदरा तस्वीर उकेरी है आप नें,एक परिपक्व लेखनी के हाथो उपजे हाईकू, दाद कुबूल करें ,सादर
सभी हाइगा उम्दा बने हैं
शुभ प्रभात
शानदार प्रस्तुति., अच्छी कविता से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट
"एहसास की चुभन "पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
आपकी रचना काफी अच्छी लगी।मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी।
बहुत सुंदर
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