शनिवार, 27 सितंबर 2014

470. दूध-सी हैं लहरें (हाइगा लेखन का प्रथम प्रयास- 8 हाइगा)

दूध-सी हैं लहरें 
(हाइगा लेखन का प्रथम प्रयास- 8 हाइगा)

***

1. 
सूरज झाँका 
***
सूरज झाँका- 
सागर की आँखों में 
रूप सुहाना। 
1





















2. 
क़दमों के निशान 
***
मिट जाएँगे 
क़दमों के निशान,  
यही जीवन। 
2 (2)





































3. 
सागर नीला 
***
अद्भुत लीला-
दूध-सी हैं लहरें, 
सागर नीला। 
3





















4.
अथाह नीर 
***
अथाह नीर 
आसमाँ ने बहाई 
मन की पीर। 

4






















5.
सूरज लाल 
***
सूरज लाल 
सागर में उतरा 
देखने हाल। 

5






















6.
लहरें दौड़ी आईं 
***
पाँव चूमने 
लहरें दौड़ी आईं, 
मैं सकुचाई। 

6






































7.
उतर जाऊँ-
सागर में खो जाऊँ 
सागर सखा! 

7






















8.
बादल व सागर 
***
क्षितिज पर, 
बादल व सागर 
आलिंगनबद्ध। 

8























-जेन्नी शबनम (20.9.2014)
____________________

7 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कमाल के हैं सभी हाइकू ...
गज़ब के फोटो भी ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (29-09-2014) को "आओ करें आराधना" (चर्चा मंच 1751) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
शारदेय नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

जेन्नी शबनम जी दमदार हाईकू हैं आपके; जीवन सृंगार, प्रकृति, वाह्य और आंतरिक जगत की सुंदरा तस्वीर उकेरी है आप नें,एक परिपक्व लेखनी के हाथो उपजे हाईकू, दाद कुबूल करें ,सादर

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सभी हाइगा उम्दा बने हैं
शुभ प्रभात

प्रेम सरोवर ने कहा…

शानदार प्रस्तुति., अच्छी कविता से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट
"एहसास की चुभन "पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी रचना काफी अच्छी लगी।मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी।

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर