नियति-चक्र
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1.
अपनी सुने
नियति मग़रूर,
मैं मज़बूर।
मैं मज़बूर।
2.
बदनीयत
नियति की नीयत,
जाल बिछाती।
3.
स्वाँग करती
साथी बन खेलती,
धूर्त नियति।
धूर्त नियति।
4.
नही सुनती
करबद्ध विनती,
ज़िद्दी नियति।
करबद्ध विनती,
ज़िद्दी नियति।
5.
कैसे परखें,
नियति का जो लेखा
है अनदेखा।
6.
खेल दिखाती
मनमर्ज़ी करती
दम्भी नियति।
7.
दुःख देकर
अट्टहास करती
क्रोधी नियती।
8.
नियती-चक्र
सुख दुःख का वक्र,
हम हैं मौन।
9.
कैसी नियती?
चुप भाग्य विधाता,
कौन अपना?
10.
जादू की छड़ी
नियती ने घुमाई
खुशियाँ आई!
- जेन्नी शबनम (25. 10. 2015)
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8 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 27 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बढ़िया
सुन्दर हाइकू ! नियति है विचित्र
सुनो एक राजा की कहानी ! (काल्पनिक )
बढ़िया हाइकू।
नियति की कृपाद्रष्टि बनी रहनी चाहिए. भावपूर्ण हाईकू.
नही सुनती
करबद्ध विनती,
ज़िद्दी नियति !-----
जीवन की नियति ही कुछ ऐसी है---- इस संदर्भ में लिखे अदभुत हाइकु
वाह बहुत सुंदर
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी पधारे
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति
नियती का खेल,
कहाँ कोई मेल
अपने सपने से।
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