आज का सच
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जो तुम चाहते हो कि मानी जाए
बिना ना-नुकुर, बिना कोई बहस
चाहते हो कि तुम्हारी बात मानी जाए।
तुम हमेशा सही हो, बिल्कुल परफ़ेक्ट
तुम ग़लत हो ही नहीं सकते
तुम्हारे सारे समीकरण सही हैं
न भी हों, तो कर दिए जाते हैं।
किसका मजाल, जो तुम्हें ग़लत कह सके
आख़िर मिल्कियत तुम्हारी
हुकूमत तुम्हारी
हर शय ग़ुलाम
पंचतत्व तुम्हारे अधीन
हवा, पानी, मिट्टी, आग, आकाश
सब तुम्हारी मुट्ठी में।
इतना भ्रम, इतना अहंकार
मन करता है, तुम्हें तुम्हारा सच बताऊँ
जान न भी बख़्शो, तो भी कह ही दूँ-
जो है सब झूठ
बस एक सच, आज का सच
''जिसकी लाठी उसकी भैंस!''
-जेन्नी शबनम (26.1.2016)
(गणतंत्र दिवस)
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11 टिप्पणियां:
"फौग" नहीं आजकल "जिसकी लाठी उसकी भैंस" यही चल रहा है, सटीक अभिव्यक्ति
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 - 01 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा -2235 में दिया जाएगा
धन्यवाद
सत्यता बयान करती रचना ।
यही आज की वास्तविकता है ।
शुभकामनाएं ।
बढ़िया रचना :)
सुंदर.
आज पांच लिंकों का आनंद अपना 200 अंकों का सफर पूरा कर चुका है.. इस विशेष प्रस्तुति पर अपनी एक दृष्टि अवश्य डाले....
आपने लिखा...
और हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 02/02/2016 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
भावपूर्ण रचना ।
कभी कभी सच कह देना ही होता है समीकरण का हल।
केवल कडुआ सच लिखा है ... जिसका जोर चलता है उसका राज और वो बस सच ही कहता है ...
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