हे गंगा माई
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हे गंगा माई
केहू न है हमर
कौना से कहू
सुख-दुःख अपन
कैसे कटे उमर।
2.
हे गंगा माई
मन बड़ा बिकल
देख के छल
छुपा ल दुनिया से
कोख में तू अपन।
3.
हे गंगा माई
हमर पुरखा के
तू समा लेलू
समा ल हमरो के
तोरे जौरे बहब।
4.
तू ही ले गेलू
हमर बाबू-माई
भेंट करा द
निहोरा करई छी
दया कर हे माई।
5.
पाप धोअ लू
पुन सबके दे लू
देख दुनिया
गन्दा कर देलई
कइसन हो गेलू।
-जेन्नी शबनम (24.8.2022)
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4 टिप्पणियां:
वज्जिका की सुगंध पाकर बड़ा बढ़िया लगा।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१२-०९ -२०२२ ) को 'अम्माँ का नेह '(चर्चा अंक -४५५०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत ही सुन्दर रचनाएं
अहा! बहुत पसंद आई यह
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