ख़ुद को बचा लाई हूँ
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कुछ टुकड़े हैं अतीत के
रेहन रख आई हूँ, ख़ुद को बचा लाई हूँ।
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कुछ टुकड़े हैं अतीत के
रेहन रख आई हूँ, ख़ुद को बचा लाई हूँ।
साबुत माँगते हो, मुझसे मुझको
लो सँभाल लो अब, ख़ुद को जितना बचा पाई हूँ।
लो सँभाल लो अब, ख़ुद को जितना बचा पाई हूँ।
- जेन्नी शबनम (18. 3. 2009)
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