दंगा
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किसी ने कहा ये हिन्दू मरा
कोई कहे ये मुसलमान था
अपने-अपने दड़बे में क़ैद
बँटा सारा हिन्दुस्तान था।
थरथराते जिस्मों के टुकड़े
मगर जिह्वा पे रहीम-ओ-राम था
कोई लाल लहू, कोई हरा लहू
रँगा सारा हिन्दुस्तान था।
घूँघट और बुर्क़ा उघड़ा
कटा जिस्म कहाँ बेजान था
नौनिहालों के शव पर
रोया सारा हिन्दुस्तान था।
दसों दिशाओं में चीख-पुकार
ख़ौफ़ से काँपा आसमान था
दहशत और अमानवीयता से
डरा सारा हिन्दुस्तान था।
मन्दिर बने कि मस्जिद गिरे
अवाम का नहीं, सत्ता का ये खेल था
मन्दिर-मस्जिद के झगड़े में
मरा सारा हिन्दुस्तान था।
-जेन्नी शबनम (24.10.2019)
(भागलपुर दंगा के 30 साल होने पर)
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2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर ,ये एहसास मंदिर मस्जिद के झगडे में पड़े किसी व्यक्ति को नहीं |
बात तो है कि झगड़ा क्यों?
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