मंगलवार, 20 जनवरी 2009

8. ख़्वाहिश (क्षणिका) / Khwaahish (kshanika)

ख़्वाहिश

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एक कतरा सूरज की किरण, एक चुटकी चाँद की चाँदनी
एक अँजुरी जीने की ख़्वाहिश, एक मुट्ठी अरमानों की ज्वाला
बस इतनी ही चाह थी, जाने कैसी साध थी?
ये जो पाऊँ जन्नत पा लूँ, जाने कैसी उम्मीद थी?
अब जो जन्नत पायी, ख़्वाहिश हुई
ख़ुदा! तुझे पा लूँ!
अब जो ख़ुदा पाया, ख़्वाहिश भी बढ़ी
संग तेरे ख़ुदा, एक जन्म और पा लूँ!

- जेन्नी शबनम (3. 1. 2009)
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Khwaahish

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Ek katra suraj ki kiran, ek chutki chaand ki chaandni
ek anjuri jine ki khwaahish, ek mutthi armaanon ki jwaala
bus itni hi chaah thee, Jaane kaisi saadh thee?
Ye jo paaoon jannat paa loon, Jaane kaisi ummid thee?
Ab jo jannat payee, khwahish hui
Khuda! tujhe paa loon!
Ab jo khuda paya, khwahish bhi badhi
Sang tere Khuda, ek janm aur paa loon!

- Jenny Shabnam (3. 1. 2009)
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9 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 09/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर जेन्नी जी..
सच है..चाहतों का कोई अंत नहीं..

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अब जो जन्नत पाई, ख़्वाहिश हुई
ख़ुदा, तुझे पा लूँ,
अब जो खुदा पाई, ख़्वाहिश भी बढ़ी....

क्या खूब.... वाह!
सादर.

सदा ने कहा…

अब जो जन्नत पाई, ख़्वाहिश हुई
ख़ुदा, तुझे पा लूँ,
अब जो खुदा पाई, ख़्वाहिश भी बढ़ी
संग तेरे ख़ुदा, एक जन्म और पा लूँ |
वाह ...बहुत ही बढि़या भावमय करते शब्‍द ।

विभूति" ने कहा…

अब जो जन्नत पाई, ख़्वाहिश हुई
ख़ुदा, तुझे पा लूँ,
अब जो खुदा पाई, ख़्वाहिश भी बढ़ी
संग तेरे ख़ुदा, एक जन्म और पा लूँ |बहुत ही खुबसूरत ख़्वाहिश जरुर पूरी होगी.....

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति....सच में ख्वाहिशों का अंत कहाँ होता है...

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

अब जो जन्नत पाई, ख़्वाहिश हुई
ख़ुदा, तुझे पा लूँ,
अब जो खुदा पाई, ख़्वाहिश भी बढ़ी
संग तेरे ख़ुदा, एक जन्म और पा लूँ |
सुंदर अभिव्यक्ती

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

vidha ने कहा…

kwahishe bhi sidhiya hai ,ek chadho to dusari samne...... behatarin abhivyakti.