ज़िन्दगी ऐसी ही होती है
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सुनसान राहों से गुज़रते हुए
ज़िन्दगी ख़ामोश हो गई है
कविता भी अब मौन हो गई है।
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सुनसान राहों से गुज़रते हुए
ज़िन्दगी ख़ामोश हो गई है
कविता भी अब मौन हो गई है।
शब्द तो बहुत उपजते हैं
और यों ही विलीन हो जाते हैं
बिना कहे शब्द भी खो जाते हैं।
मेरे शब्द चुप हो रहे हैं
और एक चुप्पी मुझमें भी उग रही है
कविता जन्म लेने से पहले ही मर रही है।
किसे ढूँढकर कहें कि साथ चलो
मेरी अनकही सुन लो
न सुनो, मेरे लिए कुछ तो कह दो।
सफ़र की वीरानगी जब दिल में उतर जाती है
मानो कि बहुत चले, मगर ज़िन्दगी वहीं ठहरी होती है
अब जाना कि ज़िन्दगी ऐसी ही होती है।
- जेन्नी शबनम (2.5.2011)
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12 टिप्पणियां:
SHAYAD JINDGI ESI HI HOTI HAI.. . . . . . MAM NICE POEM. . , . . . . JAI HIND JAI BHARAT
किसे ढूंढ़ कर कहूँ कि साथ चलो
मेरी अनकही सुन लो
man ke ekdam kareeb.....
बहुत सुन्दर भावना पूर्ण रचना| धन्यवाद|
जेन्नी जी ,बेस्ट लाइंस "मेरे शब्द चुप हो रहे हैं
और एक चुप्पी मुझमें भी उग रही है "हमेशा गंभीर ही मत लिखा करिए ,हम जैसे बेवकूफों को देर में समझ में आता है |
बहुत सुंदर शब्दों के साथ सुंदर रचना...
रुके-रुके से कदम रिक के बार-बार चले..
जिंदगी ऐसी ही होती है
बहुत अच्छी....
रुकी-रुकी सी ज़िंदगी । सुंदर रचना .. शुभकामनाएँ ।
सचमुच ज़िन्दगी ऐसी ही होती है,मौन ओढ़े हुए , शब्दों का गुम हो जाना,चुप्पी का उगना जैसे प्रयोग कविता के निहितार्थ को सतह से उठाकर बहुत गहरे तक ले जाते हैं। अगर आदमी मन की बात कह लिया करता तो बहुत से तनाव होते ही नहीं, साथ ही साथ यह भी सच है कि अच्छी अभिव्यक्ति भी दुर्लभ हो जाती । आपकी यह कविता बहुत गहरी बात कह जाती है -कविता भी अब मौन हो गई है,
शब्द तो बहुत उपजते हैं
और यूँ हीं विलीन हो जाते हैं
बिना कहे शब्द भी खो जाते हैं,
मेरे शब्द चुप हो रहे हैं
और एक चुप्पी मुझमें भी उग रही है
SEEDHE - SAADE SHABDON MEIN
SEEDHE - SAADE BHAAV ACHCHHE
LAGE HAIN . SUNDAR KAVYABHIVYAKTI
HAI. BADHAAEE .
"शब्द तो बहुत उपजते हैं
और यूँ हीं विलीन हो जाते हैं
बिना कहे शब्द भी खो जाते हैं,
मेरे शब्द चुप हो रहे हैं"
सुन्दर अभिव्यक्ति..!!
such sayad jindgi aishi hi hoti hai... bhut sunder...
zindgi ..kaisi hai paheli ???????
exceelent creation
ye rachna bahut acchi lagi aapki
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