सपने जो मेरे हैं
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1.
सपने मेरे
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सपने जो मेरे हैं
ख़्वाबों में पलते
होते ना पूरे हैं।
2.
अपने जब रूठे
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सब अपने जब रूठे
जितने सपने थे
जितने सपने थे
वे निकले सब झूठे।
3.
माटी का पथ
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माटी का पथ सँवरा
ख़्वाबों को भरकर
चाँदी का रथ गुज़रा।
ख़्वाबों को भरकर
चाँदी का रथ गुज़रा।
4.
मनमर्ज़ी
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उसकी है ख़ुदगर्ज़ी
नाता तोड़ गया
उसकी है मनमर्ज़ी।
नाता तोड़ गया
उसकी है मनमर्ज़ी।
5.
बचपन में
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फूल खिले उपवन में
महके इठलाए
जीवन ज्यों बचपन में।
महके इठलाए
जीवन ज्यों बचपन में।
- जेन्नी शबनम (29.12.22)
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