गुरुवार, 26 दिसंबर 2024

785. सपने जो मेरे हैं (5 माहिया)

सपने जो मेरे हैं 

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1. 
सपने मेरे 
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सपने जो मेरे हैं 
ख़्वाबों में पलते 
होते ना पूरे हैं।  

2. 
अपने जब रूठे 
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सब अपने जब रूठे 
जितने सपने थे  
वे निकले सब झूठे।

3. 
माटी का पथ 
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माटी का पथ सँवरा
ख़्वाबों को भरकर
चाँदी का रथ गुज़रा।

4. 
मनमर्ज़ी 
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उसकी है ख़ुदगर्ज़ी 
नाता तोड़ गया
उसकी है मनमर्ज़ी।

5. 
बचपन में 
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फूल खिले उपवन में 
महके इठलाए
जीवन ज्यों बचपन में। 

- जेन्नी शबनम (29.12.22)
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