स्त्री की डायरी...
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उसका सच नहीं बाँचती
स्त्री का सच
उसके मन की डायरी में
अलिखित छपा होता है
बस वही पढ़ सकता जिसे वो चाहे
भले दुनिया अपने-अपने मनमाफ़िक़
उसकी डायरी में
हर्फ़ अंकित कर दे !
- जेन्नी शबनम (3. 3. 2015)
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