न आओ तुम सपनों में...
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क्यों आते हो सपनों में बार-बार
जानते हो न मेरी नियति,
क्यों बढ़ाते हो मेरी मुश्किलें
जानते हो न मेरी स्थिति !
विषमताएँ मैंने ख़ुद नहीं ओढ़ी जानेमन,
न कभी चाहा कि ऐसा जीवन पाऊँ,
मैंने तो अपनी परछाई से भी
नाता तोड़ लिया,
जीवन के हर रंग से मुँह मोड़ लिया !
कुछ सवाल होते हैं
पर अनपूछे,
जवाब भी होते हैं
पर अनकहे,
समझ जाओ न मेरी बात
बिन कहे मेरी हर बात !
न दिखाओ दुनिया की रंगीनी
रहने दो मुझे मेरे जागते जीवन में,
मुमकिन नहीं कि तुम्हें सपने में देखूँ
न आया करो मेरे हमदम मेरे सपनों में !
- जेन्नी शबनम (3. 12. 2010)
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क्यों आते हो सपनों में बार-बार
जानते हो न मेरी नियति,
क्यों बढ़ाते हो मेरी मुश्किलें
जानते हो न मेरी स्थिति !
विषमताएँ मैंने ख़ुद नहीं ओढ़ी जानेमन,
न कभी चाहा कि ऐसा जीवन पाऊँ,
मैंने तो अपनी परछाई से भी
नाता तोड़ लिया,
जीवन के हर रंग से मुँह मोड़ लिया !
कुछ सवाल होते हैं
पर अनपूछे,
जवाब भी होते हैं
पर अनकहे,
समझ जाओ न मेरी बात
बिन कहे मेरी हर बात !
न दिखाओ दुनिया की रंगीनी
रहने दो मुझे मेरे जागते जीवन में,
मुमकिन नहीं कि तुम्हें सपने में देखूँ
न आया करो मेरे हमदम मेरे सपनों में !
- जेन्नी शबनम (3. 12. 2010)
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